देवनागरी में लिखें

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Friday 12 October 2012

आज एक ईंट सीमेंटेंट हुई .........


आज एक *ईंट* सीमेंटेंट हुई .........




कल .......... मैं ,उसे अंगुली पकड़ कर चलना - लिखना सिखाई .....
आज ....... वो ,मुझे ब्लॉग बना कर दिया ............. क्यूँ कि ..........
कल .......... मैं तनाव और अवसाद में अपने को ना खो दूँ ...............


मेरी प्रेरणा 

Facebook और ब्लॉग पर सबसे पहले भेंट हुई और वे ही औरों से मेरा परिचय करवाईं ..............
इनका  Chat Box मेरी डायरी है !!

http://lifeteacheseverything.blogspot.com/2012/09/blog-post_12.html 

कभी सिर्फ खिलखिलाते हैं शब्द
कभी बालों में घूमती माँ की उँगलियों से निकलते हैं शब्द
आँखों में आंसू लाते हैं शब्द ..... कभी सिर्फ रुलाते हैं शब्द !!



भाई ... जब मैं ब्लॉग बुलेटिन में मेहमान बन कर आई तो ब्लॉग के बारीकियों का कोई ज्ञान नहीं था ......... 
बड़े शब्द , कैसे  छोटे होते हैं = छोटे शब्द , बड़े कैसे होते हैं ....
लाल-पीला को काला कैसे करते हैं .....  लिंक्स को प्रस्तुत कैसे करते हैं ..... !!
 http://burabhala.blogspot.in/2012/10/blog-post.html

जो ठान ले  , जिताती है जिंदगी ....
एक को ही नहीं ,
सबको आजमाती है जिंदगी  ....
 समय मिले  हिसाब करने के लिए  .... क्या खोया  और क्या पाया .... !!
वैसे ...  + और - =  -  ही होना सत्य है .....  :))

लेकिन यहाँ तो मैंने *केवल , और केवल , सिर्फ केवल ,पाया ही पाया है  :))



Wednesday 1 August 2012

* रक्षाबंधन *



आज रक्षाबंधन का समय शुरू हो गया है .... वैसे राखी कल बंधेगा ....
कल क्या होगा कौन जान सका है ....
आज ही क्यों ना अभिव्यक्ति कर लूँ ....
मैं दिल का कहना मानती हूँ ....
आप सबों ने मेरे उम्र का लिहाज कर संबोधन दिया दी ....
मैंने उसे दिल से रिश्ते को मान ली ....
मेरे आस-पास वाले मुझे EMOTIONAL-FOOL बोलते हैं ....



सब मेरे प्यारे भाई .... !! लीजिये राखी हाजिर है .... !! साथ में मेरा स्नेह और आशीष .... <3 



yahi to tha bachpan kee rahen.............
haan yahi to thi bachpan kee rahen.......
yahi to thi......jawani ki raahen........
yahi to hai bhai.............jindagi ki raahen....
तुमने बहन खो दी ,मैंने भाई ,इसलिए हमारा दर्द हमें इस रिश्ते में बाँध दिया अपने अनुज को बाबू बोलती हूँ ,इसलिए तुम्हे भी बबुआ बोल लेती हूँ :)







जवारी हइन सन त रिश्ता होखे के ही रहे, थोड़े में बहुत कुछ कह जा ल :)

सरल संछेप ही सफलता का राज है
इसी में पुरी दुनिया सिमटी हुई है .... !



बहरहाल सरकार और टीम अन्ना के बीच
चूहे बिल्ली का खेल चलता रहेगा .... !!





महेन्द्र श्रीवास्तव 






अ हाँ क बारे में की कहूँ ..... :D    राजनीती में गहरी रूचि है .... सब को धोते रहते हैं .... :)
हमने तो आपकी टीपों पर एक टिप्पा धर दिया अब आपकी बारी है
कर दिजीये इस टिप्पा के ऊपर एक लारा लप्पा
अजय कुमार झा







राखी का अवसर था आपके घर(http://bulletinofblog.blogspot.in/) आना चाहती थी.... मेहमान बन कर ही सही .... लेकिन हालात नहीं बने .... :(


खैर, साहब हमें क्या... ?
अपनी तो आदत है कहेने की ...
 कि ...जागो सोने वालों ....

जो जगे हों ..... ?




आँखों का अंजन हैं,
माथे का चन्दन हैं,
मित्र तुम्हारा,वंदन हैं अभिनन्दन है.....!!

Rajesh Raj Chouhan











भाई जान :)
रोज़ा खोलने के बाद मुंह मीठा जरुर कीजिएगा .... <3


अपना सलीब हमें अपनी पीठ पर
ख़ुद धोना पड़ता है .... बहुत खूब .... !!










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राखी चाहे जो बांधें आपके कलाई पर .... उस गाँठ में मेरा भी आशीर्वाद होगा ..... :))
                    
           vibha rani shrivastava ..... !!




Friday 6 July 2012

# ख़्वाब क्यूँ .... ? #

ख़्वाब क्यूँ .... ?
ख़्वाब ख़्वाब ख़्वाब और ख़्वाब ख़्वाब बस ख़्वाब .... !!
ख़्वाब है तो जीवन-संसार है ,नहीं तो कुछ भी नहीं .... !!
ख़्वाब में भी नहीं .... हक़ीकत हो जायेगा  ख़्वाब ..... 
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मनोवैज्ञानिक कहते .....
अचेतन में जो-जो ख्वाहिशें
चेत जाता, वही ख़्वाब बनते हैं ....
वे तो बंद आँखों का ख़्वाब होते होगें ....
कुछ ख़्वाब खुली आँखों से भी देखे जाते ....
अगर किसी ने ख़्वाब खुली आँखों से नहीं देखा होता ....  
आज मैं अक्षरों को शब्द बना ख़्वाब सज़ा रही होती ....
मुझे भी .... (*एक उत्सुकता है मन में
नया वेश नया परिवेश
कैसा होगा उस पार का देश..? Maheshwari Kaneri दीदी के शब्द) ....
बेटे की शादी कर दूँ .... बहु का स्वागत कर लूँ ....
बहु घर में रच-बस जाए .... सबका ख्याल रखेगी देख लूँ ....
पोता का मुहं देख ,साथ कुछ खेल लूँ ....
एक पोती भी .... बिटिया नहीं है ....
कन्यादान का भी  तो कर्ज है बाकी ...
कुछ ख़्वाब हम बुनते रह जाते हैं ....
कुछ ख़्वाब नायाब हमें बना जाते हैं .....
कुछ ख़्वाबहमें अजनबी से लगते हैं ....
कुछ ख़्वाब सा लगा ख़्वाब कभी,
तो कभी - कभी यकीं सा लगा कुछ ख़्वाब
कभी - कभी एक लम्हे में  बन जाते  हैं ख़्वाब,
कभी याद बन चुभते हैं ख़्वाब के लम्हें,.
प्यार है .... गुस्सा है .... रूठना-मनाना है  ....
सुख-दुःख हैं ....तो है जरुरी .... ख़्वाब …. !!
कुछ ख़्वाब नायाब हमें बना जाते हैं .....

कुछ ख़्वाब हमें अजनबी से लगते हैं ....
कुछ ख़्वाब सा लगा ख़्वाब कभी,
तो कभी - कभी यकीं सा लगा कुछ ख़्वाब
कभी - कभी एक लम्हे में  बन जाते  हैं ख़्वाब,
कभी याद बन चुभते हैं ख़्वाब के लम्हें,.
प्यार है .... गुस्सा है .... रूठना-मनाना है  ....
सुख-दुःख हैं ....तो है जरुरी .... ख़्वाब …. !!