देवनागरी में लिखें

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Tuesday 23 April 2013

कैसे .



ना बहन थी ….
ना बेटी हुई ….
बहुत नाज़ों से ,
पाल रही थी ,
एक पोती की
नाज़ुक तमन्ना ….
मर्यादित मिठास
 जीवन में होता ....
अब मुश्किल में
जां आन पड़ी ….
कलेज़े में हुक बड़ी….
डर और आतंक के
स्याह समुंदर में
डूब उतरा रही हूँ ….
छ: महीने की पोती को
कैसे लाल-मिर्ची की
पुड़िया पकड़ाऊँगी ....
एक साल की बच्ची को
आखों में डालने वाला
स्प्रे पकड़ाऊँगी ....
डेढ़ साल की मुन्नी को स्पर्श ,
कैसा-कैसा (good-touch=bad-touch=secret-touch)
कैसे समझाऊँगी
दो साल की चुन्नी को
कटार कैसे थमाऊँगी
ढ़ाई साल की नन्ही को
तीन साल की
साढ़े तीन साल की
चार साल की
साढ़े चार साल की
माखौल तो ना उड़ाओ ....
बहुत शौक है सलाह देने का ....
सलाह कोई कारगर तो सुनाओ ….
समझु और समझाऊँ
शुक्रिया दूँ ...........

DSCN4973 - Copy

http://sarasach.com/poet-3/

A-A-P

http://www.nawya.in/hindi-sahitya/item/vibha 3.html  


2 comments:

Asha Joglekar said...

आस जरूर पालिये और पोती को आने दीजिये। फिर बडी होगी तो उसको आत्मरक्षा का प्रशिक्षण भी दीजिये। ढर के थोडी जियेंगे हम।

विशाल चर्चित (Vishal Charchit) said...

अत्यंत मार्मिक भावों से ओतप्रोत रचना...